आस्था या फिर अंध भक्ति
🌷🌼रजौली मेरा गाँव🌼🌷 नखरौली नामक गांव में आस्तिकों की संख्या, पहले की अपेच्छा कुछ ज्यादा ही हो गयी थी चारों तरफ धर्म का ही बोलबाला था तरह तरह के कर्मकांड आये दिन होते थे. हिंदू, मुस्लिम, सिख़., ईसाई, आदि सभी धर्म अपने को ही सर्वश्रेठ समझते थे और झाड़ फूँक में भी विश्वास रखते थे गाँव में किसी की माँ आस्वस्थ हैं. आगे लखन - भाई जितेंद्र कहाँ जा रहे हो, काफी परेशान दिखाई दे रहे हो, आखिर बात क्या है. जीतेन्द्र - क्या बताऊँ भाई !मेरी माँ की तबियत सही नहीं हो रही है. गांव के लोग भूत प्रेत का चक्कर बता रहें हैं लखन - भाई गोबरेश्वर के मंदिर गए की नहीं जितेंद्र - गया था भाई, हवन पूजन करवाया, ब्राह्मणों को खाना खिलाया दान भी दिया....