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सावन सबको भाए

बादल  हल्के  स्वर   में  गरजे   रिमझिम-रिमझिम पानी बरसे फूल खिल रहे रंग-बिरंगे  इंद्रधनुष   दिखे   सतरंगे चिडियां चहचहातीं आसमान में   खरगोश  कूदे   अपनी  तान   में चातक, सारस, तोता, मैना,   चकवा-चकवी लड़ाएं नैना मोरों   का   है   सुंदर  नृत्य   प्राकृतिक परिवर्तन है सत्य बागों में कोयल मीठे सुर में गाए   सावन सबको भाए पीपल की सरसराहट बोले   बादल की गड़गड़ाहट डोले झूला पड़ा है गांव-गली में,   आओ चलो इसी खुशी में लड़के-लड़कियां झूला झूले   हंसी- मस्ती में  सब   झूमें झूलते प्रेमी को देख प्रेमिका   नैना  भर  मंद-मंद  मुसकाए सावन सबको भाए आम की गठीली से बच्चे,   सीटी बना बजाएं रगड़-रगड़ के पेड़ से अवधी में यूं गाएं  आंबे के तांबे के, खाटूवा बादमें के  हमाय पपीहिरी बाजे — भों...पो... ! भों...पो...  बच्चे हंसके आपस में प्रफुल्लित हो जाए...

भाग- 2 मैं क्या लिखूं

अब मैं क्या क्या लिखूं  सरकार की गंदी राजनीति लिखूं या  उनके  झूठी   अनीति   लिखूं अब मैं क्या लिखूं हर  विभाग  में  चल  रहा  भ्रष्टाचार सद्भाव संवेदना  सबका हुआ संहार लेते  हैं  लोगों  से  सुविधा  शुल्क क्या ऐसे ही बदल रहा है मेरा ये मुल्क नौकरी  का  स्तर  क्यों  गिर  रहा  रोटी के लिए मज़दूर शहरों में क्यों भटक रहा  अब क्या नेता के वादे लिखूं या झूठ की लिपिस्टिक में सजे इरादे लिखूं अब मैं क्या लिखूं हर तरफ है जाति का ही वर्चस्व, जातिवादियों के फिसल रहे वक्तव्य आए दिन होते रहते दलितों पर अत्याचार  अपने हालतों से है वे लाचार  क्या उनकी पीड़ा लिखूं या उनके सपनों की दबिश चीखें लिखूं अब मैं क्या लिखूं सोशल मीडिया पर दिन-रात झूठ परोसा जाता है, हर झूठ का मीम बनता है और सच दबाया जाता है झूठ का ढांढस सबको भाता है, सच कहो तो देशद्रोह का ठप्पा लग जाता है अब क्या प्रेम की बात लिखूं, या किसी मज़लूम की मात लिखूं अब मैं क्या लिखूं क्या मैं अब हार का मातम लिखूं, या एकज...

मैं क्या लिखूं

गर्मी के मौसम में सूरज  का तपना टप-टप पसीने में भीग के ये कहना  उफ़!  आज कितनी ज़्यादा है गर्मी कैसे  करूं  बातों  में   नरमी किसी की तरक्की को देख के क्या मैं जलूं उफ़! हाय ये गर्मी... मैं क्या लिखूं बरसात के मौसम में जब बादल हैं बरसते मन प्रसन्न हो उठता जो पानी को हैं तरसते हो  जाती  है  सारी  पृथ्वी  ये ठंड जैसे सूरज का टूट गया हो  घमंड  बुलबुले पानी की तरह क्या मैं भी बहूं मैं क्या लिखूं सावन आते ही वृक्ष हो  जाते  हरे नए पौधे भी झूम के हो जाते खड़े पुष्पों को देख के खिलता है मन जब हो जाती बारिश  पूरी संपन्न पंछियों के संग क्या मैं भी उड़ूं  मैं क्या लिखूं ठंडी में  हाथ-पांव  हो जाते जकड़   जैसे ढीली हो जाती हैं बुढ़ापे में मांसपेशियों की पकड़ अकड़ू लोगों के बीच क्या मैं भी अकड़ूं मैं क्या लिखूं पतझड़ में पेड़ों से पत्ते झड़ जाते हैं  जैसे अपने ही एक-एक कर के कट जाते हैं  प्रकृति की तरह ही है, ये जीवन हर रंग, हर रूप, हर मौसम में है अपनापन जब सबको एक दिन होना है...

मकसद साफ सीखता है

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गर्व है हमें अपनी भारतीय सेना पे

1947 में जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला किया हरि सिंह ने अपनी रियासत भारत में विलय करने का निर्णय लिया भारतीय सेना ने  पाकिस्तानियों  को  धूल चटाया ऊंचाई पर टैंक चढ़ा के एक नया इतिहास बनाया  विश्व को  दिखाई ताकत भारतीय थल सेना ने   गर्व  है  हमें  अपनी  भारतीय  सेना  पे 1962  में  चीन  से  हुआ  था  गहरा  घाव पर सेना ने नहीं छोड़ा था देशभक्ति का भाव 1965 में पाक ने  हमला दोहराया तो , छक्के छुड़ाए भारतीय वायु सेना ने  गर्व है हमें अपनी भारतीय  सेना पे  1971में बांग्लादेश मुक्ति युद्ध हुआ मुक्ति वाहिनी ने भारत संग मिलकर,  अपनी सेना को कमजोर किया 93000  सैनिकों  ने  किया  आत्मसमर्पण  भारतीय सेना के आगे कर दिया सर्वस्व अर्पण   लहरों पर रचा था इतिहास भारतीय नौसेना ने गर्व  है  हमें  अपनी  भारतीय  सेना  पे  1999 में कारगिल में ऑपरेशन विजय चलाया  पाकिस्तानियों   को  देश से बाहर ...

पहलगाँव

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बोलना ही पड़ेगा

लिखना ही पड़ेगा  पुरानी, घिसी-पीटी रीतियों पर  उनसे   उपजे  अत्याचारों   पर  मानव  के  टूटते  व्यवहार  पर  लिखना ही पड़ेगा।   सोचना ही पड़ेगा  क्यों   बढ़ी  है   दिलों   में  दूरियाँ क्यों सताती है सबको मजबूरियाँ क्यों खो रहे हैं हम संवेदनाएँ  सोचना ही पड़ेगा  सुनना ही पड़ेगा  अपनी आलोचनाएँ, अपने दोष   जब खुद में हों कमियाँ   तो उसे स्वीकारना ही पड़ेगा सुनना ही पड़ेगा आवाज़ उठानी ही पड़ेगी  अत्याचार के विरुद्ध भ्रष्टाचार के  विरुद्ध  और देश  में पल रहे   असामाजिक तत्वों के विरुद्ध आवाज उठानी ही पड़ेगी अगर चाहिए हमें  वैज्ञानिक सोच आदर्श  जीवन  सुशिक्षित नागरिक  तो बोलना ही पड़ेगा,   असत्य के विरुद्ध झूठे प्रोपेगंडा के विरुद्ध हमें बोलना ही पड़ेगा       ✍️✍️संदीप कुमार✍️✍️       (    रजौली, रायबरेली )