"पतंग उड़ावा जाय"

🌹राजौली मेरा गाँव🌹


चलो चली पतंग उड़ावा जाय

अश्शु आव, अख्खु आव
बुन्दा आव, अनुप्पु आव
सब लड़िकन का लइके आव
उसरवा मा सब जावा जाय
चलो चली पतंग उड़ावा जाय

वह ट्वाला के तो आइहैं ना
संगै पतंग उड़ईहैं ना
अपनी अम्मा के नज़रन
से,
कबौ उई दुरी होइहैं ना
अरे!
मुक्के का फिर बुलावा जाय
चलो चली पतंग उड़ावा जाय

अउ हो गुरु !कहाँ रहेयो
काफी दिन से नहीं दिखेयो
सुना है नइकी गाड़ी लिहेयो

छ् वाडव यार,

दुकान से मंझा लावा जाय
चलो चली पतंग उड़ावा जाय

उसरवा मा काफी हवा बह रही
हमरे हल्का ठंडी लग रही
पतंग मा कन्ना बांधा जाय
चलो चली पतंग उड़ावा जाय

 मुक्के से थोड़ा मंझा लइल्यो
हमरे मा कन्नी पहिले दइदेयो
हथवा आपन ऊपर कयील्यो
आपस मा पतंग कटावा जाय
चलो चली पतंग उड़ावा जाय

देखु यार कइसे!

सर- सर-सर- सर सरसरा रही है
फर-फर-फर-फर फरफरा रही है
मनवा क हमरे लुभा रही है
भविष्य मा इनकी तरह,
घर का मान बढ़ावा जय
चलो चली पतंग उड़ावा जाय

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