तुम आंबेडकर को क्या जानोगे


संसद में बाबा साहब का जब तुम अपमान करते हो 

तब लग जाता यह अंदाज़ा तुम साहब से कितना जलते हो 

उनके विचारों से तुम कितना घबराते हो 
समाज ना समझे सच्चाई इतना भ्रम फैलाते हो

तुम्हारी कुर्सी का अहंकार शायद इतिहास भूल गया 

सच फंदे पर संसद में लटका न्याय दूर कहीं छूट गया 

ऐसे झूठे हितैसी बनकर लोगों को यूं भरमाओगे 

मूत्र पीने गोबर खाने वालों 
तुम अंबेडकर को क्या जानोगे 

मौका मिला जो, उनको तब संघर्ष से इतना पढ़ डाला 

बदल दिया  सौ सो साल का इतिहास नया संविधान लिख डाला 

समता समानता पर आधारित सबको दिया सम्मान 
गरीब दलित को भी मिला संविधान में न्याय का स्थान

उनकी रोशनी को तुम कभी मिटा नहीं पाओगे 

मूत्र पीने गोबर खाने वालों तुम आंबेडकर को क्या जानोगे 

कहां थे भगवान जब दलितों पर अत्याचार हुए 
घिसी पिटी रुढ़िवादी रीतियों से कितने वें लाचार हुए


दलितों के इन संघर्षों को
क्या तुम झूठा मानोगे 

मूत्र पीने गोबर खाने वालों तुम आंबेडकर को क्या जानोगे

तुम्हारी क्या है फितरत हम भलीभांति है जानते 
ऐसी ही करते रहोगे अपमान यह भी हम मानते 

अब भी मूंछ रखने से दलितों को जान से मर देते हो 
दूल्हा घोड़ी पर चढ़े तो बर्बरता से तुम पीटते हो 

लेकिन 
चाह के भी साहब के विचारधारा को कभी मिटा नहीं पाओगे

मूत्र पीने गोबßर खाने वालों तुम आंबेडकर को क्या जानोगे 

    ✍️✍️   संदीप कुमार✍️✍️
    (  रजौली,रायबरेली)

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