jindagi
ऐ जिंदगी!
तू किसी भी रूप में मेरे सामने,रोडा बनकर आ,
फ़िर भी मेरे स्वाभिमान को झुका नहीं सकती
"मैं संदीप कुमार, गाँव की मिट्टी से जन्मी कविताओं का रचयिता। मेरे शब्द कभी अंगार बनकर समाज की कड़वी सच्चाई पर चोट करते हैं, तो कभी प्रेम की बूँदों में भीगकर कोमल एहसास बयान करते हैं। यह ब्लॉग मेरी उन कविताओं का घर है, जो दिल में उतरती हैं, चुभती हैं, और गहरे निशान छोड़ती हैं। मेरे साथ जुड़ें और हिंदी कविताओं की इस अनोखी दुनिया में खो जाएं।"
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