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याद आते हैं

💐याद आते हैं💐 वो ईमली का पेड़ वो बरगद की छाव वो चंदातालाब ओ बन्दरेस्वर का मैंदान उस मैदान में बच्चे  नाचते गाते है बीते हुए दिन बहुत याद आते है  वो गुल्ली और डंडा  वो कागज का झंडा वो गुल्ली गिल्लाहत वो आपसी चिल्लाहट वो बारिश  के छाते सच में बीते हुए दिन बहुत याद आते वो हुलासी महुआ वो मुल्ला जी की बाग़ उस बाग़ के मिठे आम वो आम सबको भाते है बीते हूवे दिन बहुत याद आते है   वो रामु का कुत्ता वो बुद्धि का हुक्का  वो शाल्लु का गांजा डोल औऱ बाजा वो कुवें की पास की भीड और उनकी बातें बीते हुए दिन बहुत याद आते वो पारधान की झाड़ी वो चप्पल की गाडी वो कोटे का कोह्लू वो गन्ना घरेलू गन्ना पेरने काफी लोग जाते हैं , बीते हुयें दिन बहुत याद आते हैं वो  मिल  के मैच खेलना आपस में कोई भेद ना वो साईकिल का पहिया दीदी और भैया चुपके से चोरी चोरी खेलते थे खूब गोली वो लकड़ी के लट्टू थे बाबा हमारे जट्टू उनके लड़के बड़े प्यार से समझाते हैं कसम से बीते हुये दिन बहुत याद आते हैं         🙏🙏🙏

चोरों का हल्ला

रायबरेली में मचा है चोरों का हल्ला शहर से गए जब अपने गांव, टिके नहीं एक जगह मेरे पांव। भ्रमण किया पूरे क्षेत्र का, गली, चौराहे, और खेत का। पापा ने दी मुझे ये बात, "मत घूमना जब हो जाए रात।" धान काट लो जल्दी से, घर पहुँचे सारा गल्ला, क्योंकि रायबरेली में मचा है चोरों का हल्ला। जग रहे हैं लोग हर रात, रखते लट्ठ अपने साथ। करते हैं बैठकर तर्क-वितर्क, हर आहट पर रहते सतर्क। दौड़ते हैं लेके लाठी, अगर गलती से भी कोई खनके छल्ला, रायबरेली में मचा है चोरों का हल्ला। क्यों चोर दिखाते हैं चोरी में जुनून, क्या जिंदगी भर मिलता है उनको सुकून? दिखाते हैं अपनी ढीठाई, उनके चलते बेकसूरों की हो जाती पिटाई। मां कहती है, "मत रो, सो जा जल्दी से मेरे लल्ला," क्योंकि रायबरेली में मचा है अबकी चोरों का हल्ला   ✍️ ✍️ संदीप कुमार ✍️✍️      ( रजौली रायबरेली )