" ठंडी"
" ठंडी" बहुतै ज्यादा बढ़िगे ठंडी बहुतै ज्यादा बढ़िगे ठंडी कुहिरा से सारा ढाकीगा अम्बर घर से निकसैं रजाई क़म्बर ओस की बूंदे गिरत हैं पट पट सबकै दाँत करत हैं कट कट लडिकन का है अलगै फंडा ख्यालत गेंद अउ गुल्ली डण्डा कुछ तो छुपी छुपव्वलि ख्यालें कुछ तो लड़ावैं हांथन से रेंड़ी बहुतै ज्यादा .......... बुड्ढा बनाईन पैरा का गोंदरा कहानी सुनावैं एक था सोनरा दादी बनावैं चोखा बाटी लड़िकेँ लइके दौड़ें टाठी आंच करत बड़ा गोबरै के कंडी बहुतै ज्यादा............. बइठे दादा द्याखैं न्यूज़ गुड़ -गुड़ हुक्का का करत हैं यूज संदीप अच्छे गीत बनावें दीदी मीठे स्वर से गावें सुनत ध्यान से उई झारखंडी बहुतै ज्यादा............. *✍✍संदीप कुमार ✍✍*